चित्रकला किस श्रेणी में आती है? Chitrkla kis shreni mein aati hai . चित्रकला का क्या अर्थ होता है?

चित्रकला की श्रेणी में आती है इसको लेकर काफी सारे डाउट्स हैं अलग-अलग जगह पर इस सवाल का जवाब अलग-अलग दिया गया है। आज मैं आपको इस सवाल का सही उत्तर दुंगा।

चित्रकला किस श्रेणी में आती है? Chitrkla kis shreni mein aati hai

उत्तर: चित्रकला एक द्विविमीय कला है । चित्रकला दृश्य – श्रव्य श्रेणी में आती है । चित्रकलाजी श्रेणी में आती है वह दृश्य-श्रव्य श्रेणी कहलाती है । चित्रकला दृश्य-श्रव्य श्रेणी के अन्तर्गत आती है।

चित्रकला में विभिन्न प्रकार की रेखाओं के माध्यम से चित्र बनाए जाते हैं। चित्रकला में चित्र बनाने के लिए आड़ी तिरछी टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं खींची जाती है और फिर एक चित्र का निर्माण किया जाता है। चित्रकला में चित्र बनाने के लिए पेंसिल का उपयोग किया जाता है । अलग-अलग प्रकार की पेंसिल के माध्यम से अलग-अलग प्रकार के चित्र बनाए जाते हैं।

कुछ चित्र गहरे रंग की पेंसिल से बनाए जाते हैं तो कुछ चित्र हल्के रंग की पेंसिल से बनाए जाते हैं । कुछ चित्र धुंघले दिखाई देते हैं तो कुछ चित्र स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं । चित्रकला में रेखाओं के माध्यम से चित्र बनाकर के उसे चित्र को स्थूल आकार दिया जाता है ।

चित्रकला का क्या अर्थ होता है? Chitrkla ka kya Arth hota hai

उत्तर: चित्रकला का अर्थ होता है चित्र बनाने की कला । बिना कला के कोई भी व्यक्ति चित्र नहीं बना सकता है। चित्र बनाने के लिए चित्र बनाने की कला में माहिर होना पड़ता है तभी कोई व्यक्ति किसी भी चित्र को आकर दे सकता है और चित्र को स्थूल रूप प्रदान कर सकता है ।

चित्रकला बहुत ही प्राचीन कला है । भारतीय इतिहास में चित्रकला का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है । चित्रकला में विभिन्न प्रकार के रंगों का उपयोग चित्र को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए किया जाता है ।

चित्रकला क्या है ? Chitrkla kya hai

चित्रकला कल का एक प्रकार होता है । जो की रूप तथा रंगों के प्रयोग से तैयार होता है । चित्रकला के माध्यम से व्यक्ति अपने रचनात्मक प्रवृत्ति को लोगों के सामने प्रस्तुत और अभिव्यक्त कर सकता है । चित्रकला की अलग-अलग शैलियों हैं जैसे कि अजंता, एलोरा, मथुरा, पहाड़ी, राजस्थानी, मुगल कला आधी चित्रकला की प्रमुख शैलियों मानी गई है ।

चित्रों में अलग-अलग संयोजन विधियों का प्रयोग किया जाता है । इन्हीं संयोजन विधियों के कारण चित्र को अलग-अलग शैली के नाम से जाना जाता है ।

संयोजन कोई एक वस्तु नहीं होती है संयोजन के अंतर्गत काफी सारी चीज आती है । जिनमें रेखा, वर्ण, ताल, पोत, अंतराल आदि हैं । यदि इनमें से कोई भी चिज किसी चित्र में नहीं है तो वह चित्रकला नहीं मानी जाती है। क्योंकि इनमें सत्यम शिवम सुंदरम के भाव नहीं आ सकते हैं ।

किसी भी चित्र को बनाने के लिए इन छह तत्वों का संयोजन होना बहुत ही जरूरी है, तभी कोई चित्र पूरी तरीके से बन पाता है ।

चित्रकला के तत्व chitrkla ke tatv

  1. रेखा
  2. रूप
  3. वर्ण
  4. तान
  5. पोत
  6. अन्तराल

प्रत्येक देश और कल में इन संयोजन में अलग-अलग ढंग से बदलाव आता रहता है। इन्हीं बदलाव के कारण भिन्न कला शैलियों का जन्म होता है और विभिन्न काल में भिन्न कलाएं जन्म लेती है । राजस्थानी, पहाड़ी तथा मुगल कलाओं के विषय लगभग एक ही है । परंतु संयोजन अलग-अलग होने की वजह से इन चित्रों की शैलियों भिन्न है ।

चित्रकला की परिभाषा chitrkla ki paribhasha

चित्रकला की परिभाषा : किसी समतल धरातल पर रंग तथा रेखाओं की सहायता से लंबाई, चौड़ाई, गोलाई और ऊंचाई को अंकित करके किसी रूप का आभास कराना ही चित्रकला है ।

कला एक श्रेणी के रूप में क्या है? Kala ek shreni ke roop mein kya hai

कला मनुष्य के विचार, दृष्टिकोण को अभिव्यक्त करने का एक तरीका है। कला के माध्यम से व्यक्ति अपने मन में और दिमाग में चल रहे विचारों को चित्रकला के रूप में अभिव्यक्त कर सकता है। कला व्यक्तिगत, सामाजिक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान विकसित करता है ।

कला के प्रमुख उदाहरण Kala ke Pramukh udaharan

  1. दृश्य कला
  2. प्रदर्शन कला
  3. साहित्यिक कला
  4. श्रव्य कला

दृश्य कला : वास्तुकला , चीनी मिट्टी की चीज़ें , ड्राइंग , फिल्म निर्माण , पेंटिंग , फोटोग्राफी और मूर्तिकला शामिल हैं।

साहित्यिक कलाएँ : कल्पना , नाटक , कविता और गद्य शामिल हैं।

प्रदर्शन कला : नृत्य , संगीत और थिएटर शामिल हैं।

चित्रकला के दो प्रकार कौन से हैं? Chitrkla ke do prakar kaun se Hain

भित्ति चित्र और लघु चित्र चित्रकला के दो प्रकार हैं।

भिती चित्र: गुफा की दीवारों पर की जाने वाली चित्रकला को भिती चित्रकला कहते हैं। अजंता की गुफाएं, एलोरा के कैलाश मंदिर भिती चित्र के उदाहरण है ।

लघु चित्रकला : कागज के टुकड़े पर और कपड़े पर की जाने वाली चित्रकार को लघु चित्रकला के नाम से जाना जाता है । बंगाल राज्य के पास शासक लघु चित्रकला में माहिर थे ।

निम्नलिखित में से चित्रकला किस श्रेणी में आती है Nimnalikhit mein se chitrkla kis Shreni Mein Aati Hai

दृश्य- श्रव्य श्रेणी में चित्रकला आती है। दृश्य श्रेणी वह श्रेणी है जिसमें चित्रकला आती है।  इसके अलावा चित्रकला श्रव्य श्रेणी में भी आती है। इन दोनों ही श्रेणी में चित्रकला आती है। 

ललित कलाऔर कला में कुल पांच श्रेणियांबताई गई है 

  • इतिहासचित्रकार
  • पोट्रेट आर्ट
  • शैली चित्रकार
  • लैंडस्केप पेंटिंग
  • स्टील लाइफ पेंटिंग

चित्रकला किसे कहते हैं chitrkla Kise Kahate Hain. Chitrkla Ke Kitne Ang Hote Hain

चित्रकला किसे कहते हैं chitrkla Kise Kahate Hain . चित्रकला की परिभाषा, चित्रकला का आधार और चित्रकला के कितने अंग होते हैं। इसके बारे में संपूर्ण जानकारी। Chitrkla Ke Kitne Ang Hote Hain

चित्रकला किसे कहते हैं chitrkla Kise Kahate Hain

चित्रकला की परिभाषा : किसी भीवस्तु या काल्पनिक विचार और वस्तु को मूर्त रूप में प्रस्तुत करना चित्रकला कहलाता है। चित्रकला से व्यक्ति सजीव और निर्जीव वस्तु काचित्र बनाता है , इस कारण से इसे चित्रकला कहते हैं।

चित्रकला में चित्र को वास्तविक स्वरूप देने के लिए रेखा, वर्ण, वर्त्तना और अलंकरण का प्रयोग किया जाता है। इनके बिना चित्र अधूरा माना जाता है। प्राचीन काल में तीन तरीके से चित्र बनाए जाते थे। 

१.भित्ति चित्र

२.पट चित्र

३.फलक चित्र

प्राचीन समय में चित्रगुफाओं में गुफाओं की दीवारों पर और पत्थर पर बनाए जाते थे. जबकि वर्तमान में चित्र कागज पर लकड़ी पर पत्थर परआदि जगहों पर बनाए जाते हैं। 

प्राचीन समय में चित्र कला, संस्कृति, साहित्य और संगीत पर आधारित होते थे। इसके अलावा प्राचीन समय के चित्र पशु पक्षी फूल पत्तियों पेड़ पौधे तंत्र मंत्र और महिलाओं से जुड़े हुए होते थे। जबकि वर्तमान में चित्र बहुत ही ज्यादा काल्पनिक होते जा रहे हैं।  प्राचीन समय में चित्रकार काल्पनिकता में विश्वास बहुत ही काम रखते थे, जबकि आधुनिक काल के चित्रकार  कल्पनिकता में पूर्ण विश्वास करते हैं। 

चित्रकला के आधार 

बिंदु और रेखा चित्रकला के मुख्य आधार होते हैं। इन दोनों के बिना हम किसी भी चित्र को नहीं बना सकते हैं। यदि कोई चित्रकार किसी चित्र को बनाना चाहता है तब उसे बिंदु और रेखा इन दोनों का उपयोग करना ही होगा।  अन्यथा वह चित्र नहीं बन सकता है। 

बिंदु:- चित्रकला में बिंदु की एक वास्तविक स्थिति होती है। बिंदु की लंबाई चौड़ाई ऊंचाई नहीं होती है।  बिंदु किसी भी चित्र को पूरा करने में बहुत ही मदद करता है। 

रेखा:  किसी भी चित्र को बनाने के लिए रेखा सबसे महत्वपूर्ण होती है।  चित्र को बनाने के लिए आड़ी तिरछी खड़ी टेढ़ी-मेढ़ी गोलाकार रेखाओं को प्रयोग किया जाता है। रेखा के बिना किसी भी चित्र को बनाना बहुत ही मुश्किल होता है। किसी भी चित्र को काल्पनिक रूप देना है तब उसमें रेखा का प्रयोग तो जरूर होगा। 

चित्रकला में प्रयुक्त रेखा के प्रकार 

सरल रेखा: 

वक्र रेखा: 

गेटेड रेखा: 

सरल लंब रूप रेखा: 

क्षितिज रेखा : 

तिरछी रेखा: 

टेढ़ी रेखा: 

समानांतर रेखा: 

फ्रॉस रेखा: 

चित्रकला के कितने अंग होते हैं Chitrkla Ke Kitne Ang Hote Hain

मुख्य रूप से चित्रकला के कुल 6 अंग होते हैंचित्रकला के 6 अंग इस प्रकार से हैं रूपभेद , प्रमाण ,भाव योजना , लावण्य , सदृश्य , वर्णिका भंग। यह सभीचित्रकला के अंग हैं।  

chitrkla ke kitne ang mane jaate hain चित्रकला के कितने अंग माने जाते हैं ?

chitrkla ke kitne ang mane jaate hain ? चित्रकला के मुख्य रूप से 6 अंग माने जाते हैं जिनमें पहला अंग है रूपभेद । चित्रकला का दूसरा अंग है भाग योजना । इसी प्रकार से लावण्य , सदृश्य , वर्णिका भंग , प्रमाण चित्रकला के यह अच्छे अंग माने जाते हैं ।