पहाड़ी चित्रकला के संस्थापक कौन थे Pahadi chitrkla ke sansthapak kaun the . Pahadi chitarkala shaili

पहाड़ी चित्रकला के संस्थापक कौन थे Pahadi chitrkla ke sansthapak kaun the . पहाड़ी चित्रकला की खोज कांगड़ा में किसके द्वारा की गई थी? Pahadi chitarkala shaili

पहाड़ी चित्रकला शैली के बारे में जानकारी आज आप जानेंगे की पहाड़ी चित्रकला शैली के संस्थापक कौन थे और पहाड़ी चित्रकला शैली के अंतर्गत कौन-कौन सी शैलियों आती है पहाड़ी चित्रकला शैली के बारे मेंसंपूर्ण जानकारी उत्पत्ति आदि। 

पहाड़ी चित्रकला के संस्थापक कौन थे ? Pahadi chitrkla ke sansthapak kaun the

उत्तर : संसार चंद्र को पहाड़ी चित्र का नाम शैली का संस्थापक माना जाता है। पहाड़ी चित्रकला के संस्थापक संसार चंद्र थे।  वर्तमान में पहाड़ी चित्रकला शैली की पहचान करना बहुत ही कठिन हो गया है। क्योंकि वर्तमान में पहाड़ी चित्रकला शैली के अंतर्गत बहुत सारी विभिन्नताएं आ गई है।  जिसके कारण इसे पहचान बहुत ही कठिन हो गया है। 

 पहाड़ी चित्रकला को आगे बढ़ने का काम चित्रकार नैनसुख जीने किया था।  नैनसुख जसरोटा के राजा बलवंत सिंह के दरबारी चित्रकार थे।  नैनसुख चित्रकार की दो पीडिया ने पहाड़ी चित्रकला को आगे बढ़ाया और आकार देने का काम किया।  नैनसुख जी के कारण ही पहाड़ी चित्रकला फली और फूली और काफी ज्यादा लोकप्रिय हुई। 

पहाड़ी चित्रकला की खोज कांगड़ा में किसके द्वारा की गई थी?

अमलानन्द घोष  ने पहाड़ी चित्रकला की खोज की थी।  अमलानन्द घोष  ने पहाड़ी चित्रकला की खोज  1952 ई में की थी। पहाड़ी चित्रकला के ज्ञात चित्र बशोली उपशैली में हैं। पहाड़ी चित्रकला कांगड़ा चित्रकला शैली से काफी ज्यादा मिलती-जुलती होने के कारण कई बार इन दोनों में भ्रम की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है और इन्हें पहचाना बहुत ही ज्यादा कठिन हो जाता है। 

पहाड़ी चित्रकला शैली की पृष्ठभूमि pahadi chitrkla shaili ki prusthbhoomi

पहाड़ी चित्रकला शैली पहाड़ी स्थानीय चित्र और मुगल चित्र कला शैली की मिलु-जुली चित्रकला शैली है। 17वीं और 18वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के छिन्न-भिन्न होने के कारण चित्रकला शैली के चित्रकार जम्मू और पंजाब में जाकर के बस गये और वहां के स्थानीय चित्र के साथ में मुगल शैली को अपना करके एक नई चित्र शैली का विकास किया जिसका नाम पहाड़ी चित्रकला शैली पड़ा ।

इसके साथ ही सिखों एवं मराठाओं में युद्ध होने के कारण दिल्ली के चित्रकार पहाड़ी राज्यों में जाकर के बस गए और उन्होंने एक नई चित्र शैली का विकास किया जिसका नाम कांगड़ा चित्र शैली पड़ा ।

चित्रकारों के पहाड़ी इलाकों में आश्रय लेने के कारण और पहाड़ी स्थानीय परिवेश के समन्वय से उत्पन्न हुई चित्रकला शैली को पहाड़ी चित्रकला शैली कहते हैं ।

पहाड़ी चित्रकला शैली के विषय pahadi chitrkla shaili ke vishay

पहाड़ी चित्रकला शैली साहित्य संगीत और स्थानीय संस्कृति से प्रेरित थी । मुगल चित्रकला शैली से पहाड़ी चित्रकला शैली और भी ज्यादा विकसित हुई । पहाड़ी चित्रकला के चित्रकार प्रकृति की सुंदरता के और महिलाओं की सुंदरता के चित्र बनाया करते थे ।

पहाड़ी चित्रकला शैली में प्रयुक्त सामग्री pahadi chitrkla shaili mein prayukt samagri

पहाड़ी चित्रकला शैली के चित्र हाथ से कागज पर बनाए जाते थे ।

पहाड़ी चित्रकला के चित्रकार चित्र बनाने के लिए कागज, बांस, कपास और अन्य सामग्री का उपयोग करते थे ।

पहाड़ी चित्रकला के चित्रकार चित्र बनाने के लिए जिस कागज का उपयोग करते थे उसे “सियाल कोटि” के नाम से जाना जाता था ।‌

पहाड़ी चित्रकला के चित्रकार रेखांकन करने के बाद सफेद रंग की परत चढ़ाते थे ।

भारतीय पहाडी चित्र शैली का विकास क्रम है Bhartiya Pahadi Chitra Shaili ka Vikas Karm 

Ans :  1600-1800 ई० 

पहाड़ी चित्र शैली का विकास क्रम 1600 ई से लेकर के 1800 तक का माना जाता है। इतिहासकारों का ऐसा मानना है की पहाड़ी चित्र शैली का विकास क्रम 1600 ईस्वी में शुरू हुआ था और करीब 1800 ई तक चला था।  उसके बाद पहाड़ी चित्रकला शैलीकी लोकप्रियता कम होने लगी। 

chitrkla kis shreni mein aati hai 

chitrkla kis shreni mein aati hai : चित्रकला दृश्य-श्रव्यश्रेणी में आती है . चित्रकला एक प्रकार की द्विविमीय (two-dimensional) कला है। पहाड़ी चित्रकला के संस्थापक किशोरीलाल वैद्य जी थे. चित्रकला के दृश्य तत्व रंग, रूप, रेखा, आकार, स्थान, बनावट और मूल्य है जिसके कारण चित्रकला दृश्य श्रेणी के अंतर्गत आता है।  

क्या चित्रकला दृश्य श्रेणी में आती है?

हां, चित्रकला दृश्य श्रेणी में आती है। किसी भी प्रकार के चित्र को हम देख सकते हैं।  चित्र हो या पेंटिंग दृश्य श्रेणी के अंतर्गत आता है।  इसका प्रमुख कारण यह है कि हम चित्र और पेंटिंग को देख सकते हैं।